जब स्‍वदेशी दवा का हो साथ तो डेंगू से डरना कैसा

जब स्‍वदेशी दवा का हो साथ तो डेंगू से डरना कैसा

सेहतराग टीम

डेंगू बुखार ने सालों से पूरे देश में डर का माहौल बना रखा है। मानसून आते ही इस बुखार का प्रकोप दिल्‍ली समेत देश के कई हिस्‍सों में फैल जाता है। 5 वर्ष से कम आयु वाले बच्‍चे और 60 वर्ष से अधिक के बुजुर्गों के लिए तो ये बुखार कहर बन जाता है। इस बुखार से लड़ने के लिए आमतौर पर कोई प्रभावी दवा एलोपैथी में उपलब्‍ध नहीं है। सिर्फ बुखार उतारने के लिए पारासिटामोल और रक्‍त में प्‍लेटलेट्स की कमी दूर करने के लिए खूब पानी पीने और प्‍लेटलेट्स बहुत अधिक गिर जाने पर खून चढ़ाने के अलावा और कोई इलाज डॉक्‍टरों के पास नहीं था।

मगर अब शायद स्थिति बदलने वाली है। दरअसल देश के आयुर्वेदिक विशेषज्ञों ने डेंगू की दवा ईजाद करने का दावा किया है और यह भी कहा जा रहा है कि इस दवा का क्लिनिकल ट्रायल पिछले कुछ समय से चल रहा है जिसमें ये दवा कारगर पाई गई है। इन विशेषज्ञों का दावा है कि इस बीमारी से संबंधित अपने तरह की यह पहली दवा है। अगले साल से यह दवा बाजार में मरीजों के लिए उपलब्ध हो जाएगी। 

आयुष मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली स्वायत्त इकाई केंद्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद ( सीसीआरएएस) और कर्नाटक के बेलगांव के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र आईसीएमआर ने दवा से संबंधित पायलट अध्ययन किया है जिसमें यह साबित हुआ है कि दवा चिकित्‍सीय रूप से प्रभावी और सुरक्षित है।

सीसीआरएएस के महानिदेशक प्रोफेसर (वैद्य) के.एस. धीमान के अनुसार यह दवा सात ऐसी जड़ी-बूटियों से बनाई गई है, जिनका इस्तेमाल सदियों से आयुर्वेद में होता आ रहा है। उन्‍होंने कहा कि गर्म वातावरण वाले देशों में डेंगू एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन गया है। इस बीमारी के कारण हर वर्ष हजारों जान जाने और इसका इलाज सीमित होने के कारण सभी स्वास्थ्य एजेंसियों ने पिछले कुछ वर्ष से इस बीमारी से निपटने में अपना ध्‍यान लगा रखा है और आयुर्वेद‍िक विशेषज्ञ भी इससे अछूते नहीं हैं।

आयुर्वेदिक चिकित्‍सकों ने करीब तीन साल पहले इस दवा के निमार्ण की शुरुआत की थी और दो साल की मेहनत के बाद पिछले साल ये दवा बनाई गई। दवा का शुरुआती अध्ययन गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में किया गया और चिकित्सीय रूप से इसके सुरक्षित होने का अध्ययन कर्नाटक के बेलगांव और कोलार में किया गया।

अब हर जांच में खरा उतरने के बाद इस दवा को बाजार में लाने की तैयारी की जा रही है और उम्‍मीद है कि डेंगू से लड़ने की इसकी क्षमता को देखते हुए ये बाजार में तुरंत अपनी जगह बना लेगी। 

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